स्त्री बन्ध्यत्व (बांझपन)


इस संबंध में हम यहां होम्योपैथिक तरीके से इलाज का तरीका व दवाई का नाम बता रहे हैं। होम्योपैथिक चिकित्सा भी इस विषय विशेष में अच्छा दखल रखती है व बीमारी के उपचार में सहायता करती है।
आयुर्वेद ने महिलाओं में 20 प्रकार के योनि रोग बताए हैं, जिनमें से कोई भी रोग स्त्री के बांझपन का कारण हो सकता है। यूं तो बन्ध्यत्व के कई कारण हो सकते हैं पर मुख्यतः स्त्री बांझपन तीन प्रकार का होता है-
पहला-
आदि बन्ध्यत्व यानी जो स्त्री पूरे जीवन में कभी गर्भ धारण ही न करे, इसे प्राइमरी स्टेरेलिटी कहते हैं।
दूसरा-
काक बन्ध्यत्व यानी एक संतान को जन्म देने के बाद किसी भी कारण के पैदा होने से फिर गर्भ धारण न करना। एक संतान हो जाने के बाद स्त्री को बांझ नहीं कहा जा सकता अतः ऐसी स्त्री को काक बन्ध्त्व यानी वन चाइल्ड स्टेरेलिटी कहते हैं।
तीसरा-
गर्भस्रावण बन्ध्यत्व यानी गर्भ तो धारण कर ले पर गर्भकाल पूरा होने से पहले ही गर्भस्राव या गर्भपात हो जाए। इसे रिलेटिव स्टेरिलिटी कहते हैं।
इसके अलावा स्त्री के प्रजनन अंग का आंशिक या पूर्णतः विकसित न होना यानी योनि या गर्भाशय का अभाव, डिंबवाहिनी यानी फेलोपियन ट्यूब में दोष होना, पुरुष शुक्राणुहीनता के कारण गर्भ धारण न कर पाना, श्वेत प्रदर, गर्भाशय ग्रीवा शोथ, योनि शोथ, टीबी आदि कारणों से योनिगत स्राव क्षारीय हो जाता है, जिसके संपर्क में आने पर
शुक्राण
ु नष्ट हो जाते हैं व गर्भ नहीं ठहर पाता।
इस प्रकार बन्ध्यत्व को दो भागों में बांटा जा सकता है, एक तो पूर्ण रूप से बन्ध्यत्व होना, जिसका कोई इलाज न हो सके और दूसरा अपूर्ण बन्ध्यत्व होना, जिसे उचित चिकित्सा द्वारा दूर किया जा सके। किसी होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लें या निम्नलिखित दवाई का प्रयोग करें-
सीपिया-30 :
जरायु से संबंधित रोगों व बन्ध्यत्व के लिए यह मुख्य औषधि है। इसके लिए सीपिया-30 शक्ति की गोली सुबह-शाम लाभ न होने तक चूसकर लेना चाहिए।
कोनियम मेक :
सिर को दाएं-बाएं हिलाने से चक्कर आ जाना इसका मुख्य लक्षण है। बांझ स्त्री में यह लक्षण होना ही इस दवा को चुन लेने के लिए काफी है। डिम्ब कोश की क्षीणता के कारण गर्भ स्थापित न होता हो तो कोनियम मेक का सेवन लाभ करता है। कोनियम मेक सिर्फ 3 शक्ति में सुबह-शाम चूसकर सेवन करना चाहिए।
प्लेटिनम :
अत्यंत संवेदनशील और भावुक स्वभाव होना, जननांग को छूते ही स्त्री का शरीर ऐंठने, मचलने लगे, अत्यंत कामुक प्रकृति, हिस्टीरियाई रोग के लक्षण होना, मासिक धर्म अनियमित हो, तीव्र कामवासना की प्रवृत्ति हो तो प्लेटिनम या प्लेटिना 6 एक्स शक्ति में सुबह-शाम चूसकर लेना चाहिए।
थ्लेस्पी बर्सा पेस्टोरिस :
ऋतुकाल के अलावा समय में रक्त स्राव होना, अधिक होना, दाग धोने पर भी न मिटना, स्राव के समय दर्द होना आदि लक्षणों वाली बन्ध्या स्त्री को थ्लेस्पी बर्सा पेस्टोरिस का मूल अर्क (मदर टिंचर) सुबह- शाम दो चम्मच पानी में 4-5 बूंद टपकाकर लेने से लाभ होता है व गर्भ स्थापित हो जाता है।
पल्सेटिला :
यह महिलाओं की खास दवा है। सीपिया और कैल्केरिया कार्ब की तरह यह दवा स्त्री के यौनांग पर विशेष प्रभाव डालती है। ये तीन दवाएं स्त्री शरीर के हारमोन्स को सक्रिय कर देती हैं। पहले पल्सेटिला की एक खुराक 3 एक्स शक्ति में देकर आधा घंटे बाद पल्सेटिला 30 एक्स शक्ति में देना चाहिए। इस तरह दिन में 3-3 खुराक देना चाहिए, इसी के साथ सप्ताह में दो बार सीपिया 200 शक्ति में और कैल्केरिया कार्ब 200 शक्ति में दिन में एक बार देना चाहिए। इस प्रयोग से दो या तीन माह में बन्ध्यत्व दूर हो जाता है।
औरम म्यूर नैट्रोनेटम :
इसे स्त्री बांझपन को दूर करने की विशिष्ट दवा माना जाता है। गर्भाशय के दोषों को दूर कर यह दवा गर्भ स्थापना होने की स्थिति बना देती है। गर्भाशय में सूजन हो, स्थानभ्रंण यानी प्रोलेप्स ऑफ यूटेरस की स्थिति हो, योनि मार्ग में जख्म हो या छाले हों तो नैट्रोनेटम 2 एक्स या 3 एक्स शक्ति में सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इसे 30 शक्ति में भी लिया जा सकता है।


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