Uses and Benefits of Tulsi (Tulsi ke fayde. (Benefits of Tulsi, Tulasi))– Swasthya ke Liye Vardaan

br />
तुलसी के कई नाम हैं जो इसके गुणों का इतिहास बताते हैं। वेदों, औषधि-विज्ञान के ग्रंथों और पुराणों में इसके कुछ प्रमुख नाम-गुण इस प्रकार हैं-

* कायस्था--क्योंकि यह काया को स्थिर रखती है।
* तीव्रा--क्योंकि यह तीव्रता से असर करती है। * देव-दुन्दुभि--इसमें देव-गुणों का निवास होता है। * दैत्यघि- -रोग-रूपी दैत्यों का संहार करती है। * पावनी- -मन, वाणी और कर्म से पवित्र करती है। * पूतपत्री- -इसके पत्र (पत्ते) पूत (पवित्र) कर देते हैं। * सरला-- हर कोई आसानी से प्राप्त कर सकता है। * सुभगा- -महिलाओं के यौनांग निर्मल-पुष्ट बनाती है। * सुरसा-- यह अपने रस (लालारस) से ग्रन्थियों को सचेतन करती है।
<<<<<<<>>>>>>
2 रक्त-विकार शान्त करती है।
3 त्वचा और छूत के रोग नहीं होने देती।
4 तुलसी की कंठी माला कंठ रोगों से बचाती है।
5 कामोत्तेजना नहीं होने देती, नपुंसक भी नहीं बनाती।
6 तुलसी-दल चबाने वाले के दांतों को कीड़ा नहीं लगता।
7 तुलसी के सेवक को क्रोध कम आता है।
8 तुलसी की माला, कंठी, गजरा और करधनी पहनना शरीर को निर्मल, रोगमुक्त और सात्विक बनाता है।
9 कार्तिक महीने में जो तुलसी का सेवन करता है, उसे साल भर तक डॉक्टर-वैद्य, हकीम के पास जाने की जरूरत नहीं पड़तीं।
10 तुलसी को अंधेरे में तोड़ने से शरीर में विकार सकते हैं क्योंकि अंधकार में इसकी विद्युत लहरें प्रखर हो जाती हैं।
11 तुलसी का सेवन करने के बाद दूध पीएं। इससे चर्म-रोग हो सकते हैं।
12 कार्तिक महीने में यदि तुलसी-दल या तुलसी-रस ले चुकें हों तो उसके बाद पान खाएं। ये दोनों गर्म हैं और कार्तिक में रक्त-संचार भी प्रबलता से होता है, इसलिए तुलसी के बाद पान खाने से परेशानी में पड़ सकते हैं।
13 तुलसी-दल के जल से स्नान करके कोढ़ नहीं होता।
14 सूर्य-चन्द्र ग्रहण के दौरान अन्न-सब्जी में तुलसी-दल इसलिए रखा जाता है कि सौरमण्डल की विनाशक गैसों से खाद्यान्न दूषित हो।
15 जीरे के स्थान पर पुलाव आदि में तुलसी रस के छींटे देने से पौष्टिकता और महक में दस गुना वृद्धि हो जाती है।
16 तेजपात की जगह शाक-सब्जी आदि में तुलसी-दल डालने से मुखड़े पर आभा, आंखों में रोशनी और वाणी में तेजस्विता आती है।
17 तेल, साबुन, क्रीम और उबटन में तुलसी, दल और तुलसी रस का उपयोग, तन-बदन को निरोग, सुवासित, चैतन्य और कांतिमय बनाता है।
18 स्वभाव में सात्विकता लाने वाला केवल यही पौधा है।
19 तुलसी केवल शाखा-पत्तों का ढेर नहीं, आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है।
20 तुलसी के आगे खड़े होकर पढ़ने, विचारने दीप जलाने और पौधे की परिक्रमा करने से दसों इन्द्रियों के विकार दूर होकर मानसिक चेतना मिलती है।
सामान्य ज्वर:-
गर्मी या धूप में अधिक घूमना, थकावट, पेट में दर्द, सर्दी-गर्मी के प्रभाव से यह रोग हो सकता है।
* दो ग्राम तुलसी पत्ते, दो ग्राम अजवायन पीसकर पचास ग्राम पानी में घोलकर पिला दें। सुबह-शाम पिलाएं।
मौसमी बुखार, बदहजमी, पेट के विकार, कब्ज लू लगने आदि विकारों से ग्रस्त रोगियों का खून जब मच्छरों द्वारा फैलता है तो अच्छे-अच्छों को चारपाई पर पटक देता है। इसी को मलेरिया कहते हैं।


यदि
जुकाम के साथ बुखार भी हो तो चाय के अलावा तुलसी के पत्तों का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर दिन में चार बार सेवन करें। जुकाम के कारण होने वाला ज्वर शान्त हो जाएगा।

शोभा, सुगन्धि और पवित्रता की प्रतीक है ये ---
तुलसी का पौधा जिस आंगन में लहलहाता है, उसकी शोभा और सुगन्धि में पवित्रता होती है। महिलाएं अपना चरित्र तुलसी-जैसा बनाने में ही अपना जीवन सार्थक मानती हैं।
इसीलिए विनम्र भाव से वे कहती हैं- ‘‘मैं तुलसी तेरे आंगन की।’’
तुलसी का माहात्म्य:--
1 यह मन में बुरे विचार नहीं आने देती।
* बुखार का हमला मनुष्य पर कभी भी हो सकता है। मौसम बदलना शुरू हुआ नहीं कि बुखार ने घेरा। मच्छरों का आक्रमण भी मलेरिया जैसे जानलेवा बुखार को आमिन्त्रत कर देता है। ऐसे में आवश्यकता होती है उचित इलाज और सटीक जानकारी की, जो इस अध्याय में दी जा रही है।
* इसमें शरीर का तापमान 102-103 डिग्री हो जाता है। बेचैनी, शरीर में दर्द, प्यास का अधिक लगना, सिर-हाथ-पैरों में पीड़ा।
उपचार:-
* दस तुलसी के पत्ते, बीस काली मिर्च, पांच लौंग, थोड़ी-सी सोंठ पीसकर ढाई सौ मिलीलीटर पानी में उबाल लें और शक्कर मिलाकर रोगी को पिला दें। अगर रोगी को ज्वर के कारण घबराहट महसूस होती हो तो तुलसी के रस में शक्कर डालकर शरबत बना लें और रोगी को पिला दें। शीघ्र आराम मिलता है।
मौसमी बुखार:-
* बरसात या मौसम बदलने से रक्त संचार पर भला-बुरा असर पड़ता ही है और ज्वर के रूप में हमारे अंदर घंटी बजा देता है।
उपचार:-
* तुलसी की दस ग्राम जड़ लेकर पानी में उबालिए और पी जाइए दो-तीन दिन सुबह-शाम इस उपचार से रक्त-साफ स्वच्छ हो जाएगा।
पुराना बुखार:-
* पुराना बुखार हो तो फेफड़े कमजोर होने लगते हैं, खांसी उठती रहती है, छाती में दर्द भी होता है।
उपचार:-
तुलसी रस में मिश्री घोलकर तीन-तीन घंटे बाद तीन दिन तक पिलाए। ज्वर भी उतर जाएगा और खांसी दर्द भी जाते रहेंगे।
सर्दी बुखार:-
उपचार:-
* पांच तुलसी-दल और पांच काली मिर्च पानी में पीसकर पिलाएं। तुलसी-मिर्च का वह चूर्ण ढाई सौ ग्राम पानी में उबालकर पिलाने से तुरन्त असर होता है। आधे-आधे घंटे बाद दो बडे़ चम्मच पिलाते रहने से निश्चित लाभ होता है।
खांसी बुखार:-
उपचार:-
* दस ग्राम तुलसी-रस, बीस ग्राम शहद और पांच ग्राम अदरक का रस मिलाकर एक बड़ा चम्मच भर कर पिला दें। अद्भुत योग है, आजमाकर देख लें।
* ग्यारह पत्ते तुलसी और ग्यारह दाने काली मिर्च, दोनों को पानी में पीसकर छान लें। इधर आग पर मिट्टी का खाली सकोरा पकाकर लाल कर दें और उसमें तुलसी काली मिर्च का घोल छौंक दें। यह घोल गुनगुना रह जाने पर काला नमक मिलाकर पिला दें। खांसी बुखार समूल निकल भागेंगे।
मलेरिया:-
* इसके लक्षण हैं-ठंड लगकर बुखार आना, कंपकपी लगना, शरीर में दर्द, घबराहट, भोजन में अरुचि, आंखों में लाली, मुंह सूख जाना। 
उपचार:-
* तुलसी का रस, मंजरी, तुलसी-माला, तुलसी के पौधे और तुलसी-बीज मलेरिया को काटकर फेंक देते हैं। तुलसी-रस दस ग्राम और पिसी काली मिर्च एक ग्राम मिलाकर रोगी को दिन में पांच-छह बार दो-दो घंटे बाद पिलाते रहें। परेशानी से बचना चाहें तो तुलसी के दो सौ ग्राम रस में सौ ग्राम काली मिर्च मिलाकर रख दें। सुबह-दोपहर-शाम एक-एक चम्मच पिलाएं।
पुराना मलेरिया:-
उपचार:-
* सात तुलसी-दल और सात काली मिर्च दोनों दाढ़ के नीचे रखकर चूसते रहें दिन में तीन-चार बार यही प्रक्रिया दोहराने से महीनों पुराना मलेरिया भी भाग जाएगा।
लगातार बुखार रहना:-
उपचार:-
* जलकुम्भी के फूल, काली मिर्च और तुलसी-दल, तीनों समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें और प्रातः-सायं पिलाएं।
* तुलसी-दल दस ग्राम लेकर पांच दाने काली मिर्च के साथ घोट लें और दिन में तीन बार सेवन कराएं। आन्तरिक सफाई होते ही बुखार का नामोनिशान भी नहीं रहेगा।
सन्निपात:-
उपचार:-
* ज्वर इतने जोर का बढ़ जाए कि आदमी बड़बड़ाने लगे, ऐसी स्थिति में तुलसी, बेल (बिल्व) और पीपल के पत्तों का काढ़ा उबालें। जब पानी ढाई-तीन सौ ग्राम बच जाए तो शीशी में भर लें। दस-दस ग्राम दो-दो घंटे बाद रोगी का पिलाते रहें। निश्चित ही लाभ होगा।
लू लगना:-
उपचार:-
* एक चम्मच तुलसी-रस में देशी शक्कर मिलाकर एक-एक घंटे बाद देते रहें। यह समझें कि तुलसी-रस गर्म होने से हानि पहुंचाएगा। संजीवनी शक्ति जिस कन्दमूल में भी होगी, वह गर्म ही होगा। आराम आने के बाद भी धूप में निकलना हो तो तुलसी रस में नमक मिलाकर पीएं इससे लू लगने की आशंका ही नहीं रहेगी। प्यास भी कम लगेगी और चक्कर भी नहीं आएंगे।
टूटा-टूटा बदन:-
* उपचार-तुलसी दल की चाय बनाकर पीएं आपके बदन में ताजगी की लहरें दौड़ने लगेंगी। घर में अगर चाय की पत्ती की जगह तुलसी दल सुखाकर रख लें तो कफ, सर्दी, जुकाम, थकान और बुखार या सिर-दर्द पास भी नहीं फटकेंगे।
श्वसन संस्थान के रोग:-
* प्रदूषण के साथ ही दिनचर्या खानपान का अव्यवस्थित होना मुख्य रूप से फेफड़ों से संबंधित रोगों के कारण है। बिना किसी पूर्व योजना के बने फ्लैट्स और मकानों में खुली हवा के होने से भी फेफड़े रोगग्रस्त होते हैं।
जुकाम:-
* इसके लक्षण हैं: नाक में खुश्की या श्लेष्मा अधिक बहना, खांसी के साथ कफ का निकलना, कान बंद हो जाना, छींक आना, आंखों से पानी आना, सिरदर्द। यह ऋतु के बदलने, अत्यधिक ठण्डे पेय पदार्थों के प्रयोग, पानी में भीगने, अत्यधिक मदिरापान, धूम्रपान तम्बाकू-गुटखे का सेवन करने से हो जाता है।
उपचार:-
* छोटी इलायची के कुल दो दाने और एक ग्राम तुलसी बौर (मंजरी) डालकर काढ़ा बनाएं और चाय की तरह दूध-चीनी डालकर पिला दें। दिन में चार-पांच बार भी पिला देंगे तो खुश्की नहीं करेगी, मगर सर्दी-जुकाम को जड़ से ही गायब कर देगी।
* तुलसी के पत्ते छः ग्राम सोंठ और छोटी इलायची छः-छः ग्राम, दालचीनी एक ग्राम पीसकर चाय की तरह उबाल लें। थोड़ी-सी शक्कर डाल लें। दिन में इस चाय का चार बार बनाकर पीएं। कुछ खाएं नहीं जुकाम कैसा भी हो ठीक हो जाएगा।

* दालचीनीं, सोंठ और छोटी इलायची, कुल एक ग्राम, तुलसी-दल, छह ग्राम, इन्हें पीसकर चाय बनाएं और पीएं। दिन में ऐसी चाय चार बार भी ले सकते हैं। उस रात पेट भरकर खाना खाएं। अगली सुबह आराम जाएगा।
शीघ्र पतन एवं वीर्य की कमी:-
* तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से समस्या दूर होती है
नपुंसकता:--
* तुलसी के बीज 5 ग्राम रोजाना रात को गर्म दूध के साथ लेने से नपुंसकता दूर होती है और यौन-शक्ति में बढोतरि होती है।
मासिक धर्म में अनियमियता:-
* जिस दिन मासिक आए उस दिन से जब तक मासिक रहे उस दिन तक तुलसी के बीज 5-5 ग्राम सुबह और शाम पानी या दूध के साथ लेने से मासिक की समस्या ठीक होती है और जिन महिलाओ को गर्भधारण में समस्या है वो भी ठीक होती है
* तुलसी के पत्ते गर्म तासीर के होते है पर सब्जा शीतल होता है . इसे फालूदा में इस्तेमाल किया जाता है . इसे भिगाने से यह जेली की तरह फुल जाता है . इसे हम दूध या लस्सी के साथ थोड़ी देशी गुलाब की पंखुड़ियां दाल कर ले तो गर्मी में बहुत ठंडक देता है .इसके अलावा यह पाचन सम्बन्धी गड़बड़ी को भी दूर करता है .यह पित्त घटाता है ये त्रीदोषनाशक , क्षुधावर्धक है
Uses and Benefits of Tulsi (Tulsi ke fayde. (Benefits of Tulsi, Tulasi))– Swasthya ke Liye Vardaan Uses and Benefits of Tulsi (Tulsi ke fayde. (Benefits of Tulsi, Tulasi))– Swasthya ke Liye Vardaan Reviewed by Unknown on 06:01 Rating: 5

No comments:

20 मिनट मे गोरी त्वचा पाने के घरेलू उपाय

http://healthbeautyera.blogspot.com. Powered by Blogger.